निशा सिंह के बारे में:
नवोदित लेखिका निशा सिंह एमसीएम डीएवी कॉलेज सैक्टर-36 चण्डीगढ़ से स्नातक है। इन्होंने महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय सैक्टर – 11 चण्डीगढ़ से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर किया हैं। एसआरम ग्लोबल कॉलेज अम्बाला, हरियाणा से
बी.एड करके और वर्तमान मे एम.एड कर रही है। इनको लेखन में रूची है और जब ये सातवीं कक्षा में थी तब से इन्होंने शब्दों से खेलना शुरू कर दिया था। शब्दों की बूँदें काव्य लहरों में बदल गईं और भावनाओं ने खाई को भरने के लिए उडेल दिया।
एक जागरूक नागरिक, इन्होंने खुद को सरवानी संगठन, पंचकुला में स्वैच्छिक पहुंच के लिए समर्पित कर दिया।
इन्होंने अपनी कविता के माध्यम से विभिन्न सामाजिक और भावनात्मक मुद्दों को आवाज दी जिसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर जोरदार तालियाँ मिलीं। वह प्रकाशकों के कई प्रशंसा पत्रों की प्राप्तकर्ता भी हैं। जिसका संकलन सफ़र-ए-हयात किताब मे प्रकाशित हुई हैं।
LiFT: हमें अपनी पुस्तक और इसे लिखने की यात्रा के बारे में बताएं।
निशा सिंह: यह किताब ज़िंदगी से जुड़े अनुभव, प्ररेणा, ख़ुशी व गमी के पल आदि के बारे में संग्रह है। मेरे माता पिता और अध्यापकगण ने मुझे हमेशा लिखने के लिए प्रोत्साहित किया हैं। किताब लिखते वक़्त जब भी मुझे कोई परेशानी होती थी यह मेरे साथ स्तंभ बनकर खड़े रहे हैं।
LiFT: आपने अपनी पुस्तक के लिए यह शीर्षक क्यों चुना?
निशा सिंह: सफ़र-ए-हयात शीर्षक मैंने इसलिए चुना क्योंकि मेरी किताब जीवन के खटें मीठे अनुभवों का ज़ख़ीरा हैं।
LiFT: आपको कब पता चला कि आप एक लेखक बनना चाहते हैं और इसके पीछे आपकी प्रेरणा क्या है?
निशा सिंह: मेरे प्रातिभज्ञान की प्रेरणा ने मेरे को इस मक़ाम तक पहुँचा दिया। ज़िंदगी में जो अनुभव किया उसी को प्ररेणा मान कर मेने अपनी कलम से काग़ज़ पर शब्दों को सींच दिया। मेरी हर कविता की आलोचना मेरे माता पिता बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले करते हैं। जिस से मुझे बहुत ज़्यादा ज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
LiFT: क्या आपको लगता है कि किसी किताब को प्रमोट करने और उसके पाठकों को बढ़ाने के लिए किताब की मार्केटिंग या क्वॉलिटी जरूरी है?
निशा सिंह: विपणन में प्रगति हमेशा किताब के विषय और लिखने की शैली पर निर्भर करती हैं।
LiFT: आप अपने लेखन से लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
निशा सिंह: समाजिक घटित पर आधारित काव्य रचनाएँ पाठकों का ध्यान आकर्षित करती हैं। मैंने अपनी किताब शीर्षक सफ़र-ए-हयात से जीवन के हर उस रंग पर प्रकाश डाला हैं जिससे हर व्यक्ति या तो हार मानने का फ़ैसला करता हैं या फिर वह मज़बूत होकर ज़िंदगी को जीता हैं।
LiFT: आप लेखन के अलावा क्या करते हैं?
निशा सिंह: मैं लिखने के अलावा अपनी शिक्षा पूरी कर रही हूँ।
LiFT: जब आप राइटर्स ब्लाक का सामना करते हैं तो आप किन गतिविधियों का सहारा लेते हैं?
निशा सिंह: यह एक आम समस्या हैं हर लेखक को इसका सामना करना पड़ता हैं। जब भी मुझे इस प्रकार की समस्या आती हैं मैं अपनी किताबों में डूब जाती हूँ।
LiFT: अगर आपकी कहानी को एक फिल्म के रूप में अपनाया जाता है, तो आप उसमें निर्देशक या अभिनेता के रूप में किसे चुनना चाहेंगे?
निशा सिंह: इस तरह का कभी विचार नहीं आया क्योंकि अभी मुझे हिन्दी साहित्य का ज्ञान ज़्यादा नहीं हैं।
LiFT: क्या आप अपनी अगली किताब पर काम कर रहे हैं? यदि हां, तो कृपया हमें इसके बारे में कुछ बताएं।
निशा सिंह: मैं अपनी अगली किताब ख़ास विषयों पर लिखूँगी।
LiFT: नवोदित लेखकों को आपके क्या सुझाव हैं ताकि वे अपने लेखन कौशल में सुधार कर सकें?
निशा सिंह: लिखना एक कला है जिसको हर रोज़ तराशने की ज़रूरत होती हैं। मैं साहित्य किताबों को पढ़ने का सुझाव दूँगी।
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11 thoughts on “In Conversation With Nisha Singh”
Excellent beta 👏 👌 👍
Superb beta
Very nice
I have read this book …. it is the beautiful collection of poems .
Excellent beta
Congratulations beta…keep writing.
Really superb 👍
That’s really great ….wonderful collection….keep it up beta ❤️
Really nice 👌 keep it up my child
God bless you beta
Really nice keep it up