प्रियंका गुप्ता के बारे में:
अभियांत्रिकी की शिक्षा प्राप्त कर भारतीय सिविल सेवा जैसी कठिनतम परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने छोटे – छोटे क़दमों से प्रवेश करने वाली प्रियंका का जन्म 7 अगस्त को राजस्थान के भाण्डारेज (दौसा) ग्राम में एक साधारण परिवार में हुआ था। हर आम मध्यमवर्गीय परिवार की संतान की तरह प्रियंका को भी कला और साहित्य अपने करियर के रूप में चुनने का विकल्प उपलब्ध नहीं था।
अपने आपको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने के बाद, प्रियंका ने अपने मन में कहीं दबे लेखन के बीजों को अंकुरित करने का प्रयास किया और 2020 की कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन ने इस अंकुरण के लिए प्रारम्भिक जमीन प्रदान की।
प्रसन्नता प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है; इस जीवन दर्शन के साथ जीने वाली प्रियंका ने अपनी कहानियों में भी कहीं न कहीं प्रसन्न रहने के सूत्रों को पिरोने की कोशिश ही की है। प्रियंका की कहानियों का आधार रोज़मर्रा के उनके स्वयं के और दूसरों के अनुभव हैं। एक अच्छे पर्यवेक्षक के रूप में प्रियंका ने अपने आसपास के वातावरण से जो सीखा और समझा ;उसे ही किस्से -कहानियों के रूप में कागज़ में उकेर दिया। अब तक प्रियंका के तीन कहानी संग्रह ‘प्रेमगली’, ‘जिंदगीनामा: छोटी – छोटी कहानियाँ ज़िन्दगी की’ और ‘उड़ान’ प्रकाशित हो चुके हैं । प्रियंका को storymirror द्वारा सर्वश्रेष्ठ कहानीकार 2021 का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। प्रियंका की कहानी ‘मेरी माँ’, ‘रंगीत’ आदि संग्रहों में भी प्रकाशित हो चुकी है।
LiFT: हमें अपनी पुस्तक और इसे लिखने की यात्रा के बारे में बताएं।
प्रियंका: “उड़ान” किताब एक स्त्री की नज़र से दुनिया देखने की कोशिश है। प्रकृति ने स्त्री -पुरुष के मध्य का भेद बनाया ,लेकिन भेदभाव हमने बनाया। अगर हमारा बनाया भेदभाव न हो तो जीवन कितना सहज और सरल होगा; यही इस किताब की 20 कहानियों के माध्यम से बताने की कोशिश की गयी है। एक बेटी ,बहिन ,पत्नी और माँ बनने तक के अपने सफर में कई बार मैंने भी महसूस किया कि अगर मैं पुरुष होती तो अच्छा होता। वैसे मैं स्वयं को खुशकिस्मत मानती हूँ कि मेरा पालन – पोषण थोड़े कम भेदभाव वाले वातावरण में हुआ है। इस किताब की कहानियाँ लॉक डाउन के दौरान लिखी गयी हैं। लॉक डाउन में ‘ज्योति’ अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार लेकर गयी थी;तब ज्योति की तुलना श्रवण कुमार से की गयी थी। मुझे तब एहसास हुआ कि हमारे पास स्त्रियों की प्रशंसा करने के लिए स्त्री मानक भी नहीं हैं या हम स्त्री मानकों की उपेक्षा करते हैं। तापसी पन्नू को जब बॉलीवुड की फीमेल आयुष्मान खुराना कहा गया;तब तापसी पन्नू ने जोरदार तरीके से अपना विरोध जताते हुए कहा था कि मुझे बॉलीवुड की पहली तापसी पन्नू कहने के बारे में विचार करें।
LiFT: आपने अपनी पुस्तक के लिए यह शीर्षक क्यों चुना?
प्रियंका: हम सबके पंख होते हैं। इस किताब की सभी कहानियों के पात्रों ने अपने पंखों को पसारा है और अपने हिस्से के आसमां को पाने की कोशिश की है; इसीलिए किताब का शीर्षक उड़ान मुझे बहुत अच्छा लगा। यह एक बहुत ही रोजमर्रा में उपयोग होने वाला शब्द है; लेकिन मेरी किताब के लिए इससे बेहतर कोई शीर्षक नहीं हो सकता था।
LiFT: आपको कब पता चला कि आप कवि बनना चाहते हैं और इसके पीछे आपकी प्रेरणा क्या है?
प्रियंका: लिखने – पढ़ने का शौक बचपन से रहा है। लॉक डाउन के दौरान मोमसप्रेस्सो पर कहानी लिखी; कहानी पाठकों द्वारा पसंद की गयी; बीस लाख से भी ज्यादा लोगों द्वारा कहानी पढ़ी गयी। पाठकों द्वारा कहानी पसंद की गयी। जब आपके लेखन की सराहना होती है तो आप और अधिक तथा अच्छा लिखने के लिए प्रेरित होते हैं।
LiFT: साहित्य की दुनिया में दस साल बाद आप खुद को कहां देखते हैं?
प्रियंका: ‘रेत – समाधि’ को मिले बुकर पुरस्कार ने हिन्दी भाषा के लेखकों को प्रोत्साहित किया है। 10 साल बाद मैं स्वयं को बेस्टसेलर लेखक के साथ – साथ बुकर पुरस्कार प्राप्त लेखक के रूप में देखना चाहती हूँ।
LiFT: क्या आपको लगता है कि किसी किताब को प्रमोट करने और उसके पाठकों को बढ़ाने के लिए किताब की मार्केटिंग या क्वॉलिटी जरूरी है?
प्रियंका: किताब का कंटेंट गुणवत्तापूर्ण होना चाहिये; लेकिन गुणवत्तापूर्ण कंटेंट को पाठक तक पहुँचाने के लिए मार्केटिंग करना भी जरूरी है ।
LiFT: आप अपने लेखन से लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
प्रियंका: किताबें सबसे बेहतरीन दोस्त हैं; जो हमें सन्देश ही नहीं देती ;हमारा मनोरंजन भी करती हैं। किताबों की तरफ लौट चलो।
LiFT: आप लेखन के अलावा क्या करते हैं?
प्रियंका: भारतीय सिविल सेवा की अधिकारी हूँ। गार्डनिंग, कुकिंग, गिटार बजाना आदि हॉबी हैं। गपशप करना, घूमना – फिरना बहुत पसंद है क्यूँकि इसी से मुझे कहानियाँ मिलती हैं। अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता है।
LiFT: क्या आप अपनी अगली किताब पर काम कर रहे हैं? यदि हां, तो कृपया हमें इसके बारे में कुछ बताएं।
प्रियंका: एक उपन्यास पर काम कर रही हूँ। एक लड़की के संघर्ष की कहानी है। उसके कुछ सपने हैं; जिन्हें पूरा करने के लिए वह लगातार प्रयासरत है।
LiFT: नवोदित लेखकों को आपके क्या सुझाव हैं ताकि वे अपने लेखन कौशल में सुधार कर सकें?
प्रियंका: प्रतिदिन कुछ न कुछ पढ़िये और लिखिए।
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